
अयोध्या। श्रीरामजन्मभूमि पर राम लला के मंदिर में राम लला के दर्शन 20 जनवरी से आम श्रद्धालुओं के बंद कर दिए जाएंगे। 23 की सुबह से दर्शन पुनः नित्य की भांति प्रारंभ हो जाएंगे। श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए दर्शन का समय बढ़ाया जा सकता है, ताकि राम लला के दर्शन के लिए लोगों को ठंड में अयोध्या में ना रुकना पड़े और लोग दर्शन करके वापस जा सकें। ये बातें श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के सचिव चंपत राय ने पत्रकार वाता में दी।
न्यास की कार्यशाला में आयोजित पत्रकार वार्ता में उन्होंने बताया की मंगलवार को प्रायश्चित कर्म और कर्मकुटी पूजन से राम लला की नवीन मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का मुख्य अनुष्ठान विधिवित प्रारंभ हो जाएगा। मूर्ति 17 जनवरी को मंदिर परिसर में लायी जाएगी। इसके पश्चात 18 जनवरी को राम लला की बाल रूप प्रतिमा को गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा। प्रतिमा के अपने स्थान पर विराजमान होने के पश्चात अधिवास के अनुष्ठान की प्रक्रिया प्रारंभ होगी। जलाधिवास की शाम को तीर्थ पूजन, जलयात्रा, जलाधिवास औऱ गंधादिवास होगा। 19 जनवरी को प्रातः औषधाधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास होगा, सायंकाल धान्याधिवास होगा। 20 जनवरी को सुबह शर्कराधिवास, फलाधिवास, तथा शाम को पुष्पाधिवास होगा। 21 जनवरी को प्रातः मध्याधिवास व सायंकाल शैय्याधिवास होगा।
उन्होंने बताया कि पूजा पद्धति के अनुसान न्यूनतम तीन और अधिकतम सात अधिवास प्राण प्रतिष्ठा के अंग होते हैं। ये सारे अनुष्ठान 121 आचार्य पंडित गनेश्वर शास्त्री द्रविड़ के प्रर्यवीक्षण में सारे अनुष्ठान संपन्न कराएंगे। इस यज्ञ के मुख्य आचार्य काशी के विद्वान लक्ष्मीकांत दीक्षित होंगे।
राय ने बताया कि 21 जनवरी तक सारे प्रमुख अनुष्ठान के कार्य हो जाएंगे। 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान का अंतिम चरण होगा। यह चरण लगभग 60 से 65 मिनट का होगा। पौष शुक्ल द्वादशी को मृगशिरा नक्षत्र व अभिजित मुहुर्त में प्राण प्रतिष्ठा दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर की जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि वर्तमान मूर्ति भी गर्भगृह में भी विराजमान रहेगी, और उसका भी पूजन पूर्व की भांति किया जाता रहेगा।
महोत्सव के अन्य प्रक्रिया के बारें उन्होंने बताया की प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात जो भी अतिथि इस कार्यक्रम के साक्षी बनने के लि उपस्थित होंगे, उनको भगवान के दर्शन कराए जाएंगे। कुल आठ हजार कुर्सियां अतिथियों के बैठने के लिए लगाई जा रही हैं। इनमें सभी संप्रदायों, मतों और अखाड़ों के धर्माचार्यों के साथ ही देशभर से सभी जाति, भाषा, प्रांत का प्रतिनिधित्व इस कार्यक्रम में होगा।
उन्होंने आग्रह किया कि सभी लोग प्राण प्रतिष्ठा के दिन निकट के मंदिर में एकत्र होकर भजन-पूजन-कीर्तन करें, प्रसाद ग्रहण करें और शंखध्वनि करें। मंदिरों में स्वच्छता का अभियान भी कल से प्रारंभ कर दें। सायंकाल सभी अपने द्वार पर पांच-पांच दीपक जलाएं।
राय ने स्पष्ट किया कि अरुण योगिराज की प्रतिमा की ही स्थापना की जा रही है। यह भगवान के पांच वर्षीय बाल रूप की मूर्ति है। कार्यक्रम में आमंत्रित लोगों के बारे में भी उन्होंने कहा कि अपने क्षेत्र के विशिष्ट लोगों के साथ ही पचास देशों के चयनित लोगों को भी आमंत्रित किया गया है।