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मैं व्यक्तिगत तौर पर पीएम मोदी को भगवान शंकर का अवतार मानता हूं: डा0 मुरली धर सिंह (शास्त्री)

राम मंदिर सम्बंधी विशेष लेख सफला एकादशी पर

राम मंदिर सम्बंधी विशेष लेख (सफला एकादशी)
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी कोई भी कार्य संकल्पित होकर करते है। इसलिए मैं व्यक्तिगत तौर पर भगवान शंकर का अवतार मानता हूं।
हमारे प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री योगी जी की दृढ़निश्चयात्मक कार्यशैली एवं संकल्प के कारण इनको मैं योगी भर्तृहरि जी महाराज का अवतार मानता हूं।

डा0 मुरली धर सिंह (शास्त्री)
एम0एस0सी0, एल0एल0वी0 विद्यावाचस्पति (पी0सी0एस0)
उप निदेशक सूचना, अयोध्या धाम/प्रभारी मीडिया सेन्टर लोकभवन लखनऊ
मो0-7080510637, 9453005405
ईमेल- upgovtddinfo@gmail.com santmurlidhar@gmail.com   

अयोध्या धाम। 22 जनवरी 2024 को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह आयोजित किया गया है। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में देश के यशस्वी प्रधानमंत्री  नरेन्द्र भाई मोदी को आमंत्रित किया गया है। यह आमंत्रण श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के पदाधिकारियों द्वारा किया गया है। उल्लेखनीय है कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास का गठन भारतीय संसद द्वारा न्यास अधिनियम 1882 के तहत फरवरी 2020 में किया गया है। उसके बाद इस ट्रस्ट में अनेक पूर्णकालिक महापुरूष रखे गये है जो इस राम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहे है। इसमें हमारे केन्द्रीय सरकार एवं राज्य सरकार के अधिकारी भी पदेन सदस्य के रूप में रखे गये है।

आज इस लेख लिखने का मुख्य उद्देश्य यह है कि आज से 15 दिन बाद लगभग 500 साल (496 वर्ष) बाद भगवान राम अपने जन्मस्थान के मंदिर में विराजमान होंगे। जो आगामी पौष शुक्ल, द्वादशी, विक्रम संवत् 2080, सोमवार (दिनांक 22 जनवरी, 2024) के शुभदिन, प्रभु श्रीराम के बाल रूप नूतन विग्रह को, श्रीराम जन्मभूमि पर बन रहे नवीन मंदिर भूतल के गर्भगृह में विराजित करके प्राण-प्रतिष्ठा की जायेगी। इस अवसर पर अयोध्या में अभूतपूर्व आनन्द का वातावरण होगा। ।। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का विवरण ।।
मंदिर परम्परागत नागर शैली में निर्मित।
मंदिर की लम्बाई (पूर्व-पश्चिम) 380 फीट चैड़ाई 250 फीट एवं ऊँचाई 161 फीट।
तीन मंजिला मंदिर, प्रत्येक मंजिल की ऊँचाई 20 फीट, कुल 392 खम्भे, 44 दरवाजे।
भूतल गर्भगृह-प्रभु श्रीराम के बाल रूप (श्रीरामलला) का विग्रह, प्रथम तल गर्भगृह-श्रीराम दरबार।
कुल पाँच मंडप-नृत्यमंडप, रंग मंडप, गूढ़ मंडप (सभा मण्डप), प्रार्थना मंडप, कीर्तन मंडप।
खम्भे, दीवारों में देवी-देवता तथा देवांगनाओं की मूर्तियाँ।
प्रवेश पूर्व से, 32 सीढ़ियाँ (ऊँचाई 16.5 फीट) चढ़कर सिंहद्वार से होगा।
दिव्यांगजन तथा वृद्धों के लिए रैम्प एवं लिफ्ट की व्यवस्था।
चारों ओर आयताकार परकोटा (प्राकार) लम्बाई 732 मीटर, चैड़ाई 4.25 मीटर, परकोटा के चार कोनों पर चार मंदिर भगवान सूर्य, शंकर, गणपति, देवी भगवती, परकोटे की दक्षिणी भुजा में हनुमान एवं उत्तरी भुजा में अन्नपूर्णा माता का मंदिर।
मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीताकृप।
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर परिसर में प्रस्तावित अन्य मन्दिर-महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वसिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज गुह, माता शबरी एवं देवी अहिल्या।
दक्षिणी-पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीले पर स्थित शिव मंदिर का जीर्णोद्वार एवं रामभक्त जटायु राज प्रतिमा की स्थापना होगी। इस मंदिर के उद्घाटन की घड़ी आ गयी है तथा इस तीर्थ क्षेत्र न्यास द्वारा लोगों को निमंत्रण कार्ड भेजे जा रहे है इस कार्ड में मुख्य रूप से मा0 प्रधानमंत्री जी के नाम तथा मा0 मोहन भागवत जी सरसंघचालक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, मा0 श्रीमती आनन्दीबेन पटेल जी महामहिम उत्तर प्रदेश, मा0 योगी आदित्यनाथ जी मुख्यमंत्री उ0प्र0, पूज्य संत एवं महंत नृत्यगोपाल दास जी महाराज अध्यक्ष श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास का नाम अंकित है तथा जन्मभूमि का प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम 11 बजकर 30 मिनट से 12 बजकर 30 मिनट तक मंगल विधि से गर्भ गृह में होगा तथा 12 बजकर 30 मिनट से महानुभावों का उद्बोधन भी होगा। इस निमंत्रण कार्ड में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के अध्यक्ष श्री पूज्य नृत्यगोपाल दास जी अतिरिक्त श्री चम्पत राय जी महामंत्री, स्वामी गोविन्द देव गिरि जी महाराज कोषाध्यक्ष, स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती जी महाराज, स्वमी विश्वप्रपन्न तीर्थ जी महाराज, स्वामी युगपुरूष परमानन्द जी महाराज, महंत दिनेन्द्र दास जी महाराज, पद्मश्री के पारासरन वरिष्ठ अधिवक्ता मा0 सर्वोच्च न्यायालय, मा0 विमलेन्द्र प्रताप मिश्र, श्री नृपेन्द्र मिश्र पूर्व वरिष्ठ नौकरशाह/अध्यक्ष मंदिर निर्माण समिति डा0 अनिल मिश्र, श्री कामेश्वर चैपाल जी का नाम अंकित है। इस राम जन्मभूमि मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह को भव्यता से मनाने हेतु केन्द्रीय एवं राज्य सरकार के निर्देश है तथा इस सम्बंध में मा0 मुख्यमंत्री जी द्वाराा स्वयं समीक्षा की जायेगी तथा इसी की कड़ी में आगामी 9 जनवरी 2024 को समीक्षा प्रस्तावित है। न्यास द्वारा प्रस्तावित निमंत्रण में राम जन्मभूमि के महान संतों एवं महान महापुरूषों को याद किया गया, जिसमें पूज्य महंत श्री अभिराम दास जी महाराज, पूज्य देवरहा बाबा जी महाराज, पूज्य अवैद्यनाथ जी महाराज, पूज्य रामचन्द्र परमहंस की महाराज, पूज्य जगतगुरू विश्वदेव तीर्थ जी महाराज, पूज्य स्वामी सतानन्द जी महाराज, पूज्य स्वामी शिवरामाचार्य जी महाराज, पूज्य श्री विश्वतीर्थ जी महाराज, पूज्य स्वामी बीतराज, पूज्य स्वामी बामदेव जी महाराज, पूज्य स्वामी सत्यमित्रा जी गिरि महाराज के अलावा श्री ओंकार भावे, श्री के0के0 नायर, ठाकुर गुरूदत्त सिंह, श्री गोपाल सिंह विसारत, श्री दाउदयाल खन्ना, श्री देवकीनन्दन अग्रवाल, श्री विष्णुहरि डालमिया, श्री मधुकर दत्तात्रेय देवरस, प्रो0 राजेन्द्र सिंह उर्फ रज्जू भइया, श्री मोरोपंत पिंगले, डा0 अशोक सिंघल जी सहित अनेक पूज्य महापुरूषों का उल्लेख किया गया है। हालांकि राम जन्मभूमि आंदोलन में करोड़ों लोगों का त्याग तपस्या है, पर यह आंदोलन हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री मा0 नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में जब सरकार बनी तब 9 नवम्बर 2019 को मा0 सर्वोच्च न्यायालय के 1024 पेज के जजमेंट के बाद मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हुआ तथा इसका शिलान्यास/भूमिपूजन मा0 प्रधानमंत्री जी द्वारा दिनांक 5 अगस्त 2020 को किया गया। जहां तक प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रति एवं मुख्यमंत्री योगी के प्रति मेरे निजी विचार है। मोदी जी को वर्ष 1989 से जानता हूं एवं योगी जी को 1994 से जानता हूं। मोदी जी जब वह रथयात्रा के समय मा0 आडवाणी जी के साथ थे। इन महापुरूषों से मेरी मुलाकात ललितपुर जनपद में तैनाती के समय माता किला डैम के निरीक्षण गृह में अक्टूबर माह में 1989 हुई थी। उसी तरह हमने देखा कि मोदी जी जो संकल्प लेते है उसको पूरा करते है चाहे काशी विश्वनाथ मंदिर का काशी विश्वनाथ मंदिर गलियारा हो या उज्जैन का महाकाल लोक मंदिर हो तथा केदारनाथ का शिव मंदिर हो। ये बड़े संकल्प के साथ काम करते है उसी कड़ी मंे भारत के गौरव देव श्री रामलला मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आ रहे है इसलिए इनको मैं अपने व्यक्तिगत तौर पर भगवान शंकर का साक्षत अवतार मानता हूं तथा यह भी अवगत कराना है कि योगी आदित्यनाथ जी गोरखपीठ के पीठाधीश्वर है तथा उत्तर प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री है। आपके नेतृत्व में जब से सरकार बनी तब से आगमन सहित अनेक मिथकों को तोड़ा और मेरा गोरक्षनाथ पीठ के पूज्य पीठाधीश्वरों पूज्य महंत श्री दिग्विजय नाथ जी, पूज्य श्री अवैद्यनाथ जी के कार्यकाल मठ में जाना आना रहा तथा पूज्य योगी जी के उस पीठ के उत्तराधिकारी बनने पर 1995 से मठ मंे आना जाना रहा तथा सेवाकाल में गोरखपुर में भी तैनात रहा और अयोध्या एवं उज्जैन को बनाने में महाराजा विक्रमादित्य जी का उल्लेख किया जाता है। यह सत्य है और विक्रमादित्य जी के भाई अग्रज भर्त्रहरि जी महाराज थे जो नाथ सम्प्रदाय से दीक्षा लेकर दक्षिण के मालवा में एवं पश्चिम भारत में व्यापक प्रचार प्रसार किया था तथा नाथ सम्प्रदाय को मजबूत किया था। स्वयं गुरूगोरखनाथ जी महाराज भगवान शंकर के अवतार थे। मैं अपने पूज्य श्री योगी जी को अपने विचार से भर्तृहरि का अवतार मानता हूं। यह विशेष लेख मैने अपने अल्पज्ञान के आधार पर लिखा है तथा भारतीय संविधान 1950 में प्रदत्त मूल अधिकार संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत लिखा हूं। इसमें किसी को शासकीय दृष्टि से आपत्ति नही होनी चाहिए। मेरा अयोध्या से गहरा नाता है। मैं भी भगवान राम का वंशज हूं तथा यह सौभाग्य का विषय है कि राम मंदिर की घटनाओं का प्रत्यक्ष मैं साक्षी हूं तथा विगत 5 वर्षो से ज्यादा समय से अयोध्या में तैनात हूं और मुझे हमारे शासन प्रशासन के साथ तथा संत महात्माओं के साथ उनके आर्शीवाद से समन्वय का मौका मिला है इसके लिए मैं अपने को भाग्यवान समझते हुये मैं इस विशेष लेख को आम जनमानस में समर्पित करता हूं। आज पूस माह की कृष्णपक्ष की सफला एकादशी है यह एक वैष्णव तिथि है। इस लेख को भगवान राम एवं हनुमान जी के चरणों में अर्पित करता हूं, क्योंकि यह लेख उन्हीं के पे्ररणा से लिखा हूं।
नोट-इस विशेष लेख के लेखक उत्तर प्रदेश सरकार में उप सूचना निदेशक अयोध्या मण्डल, अयोध्या धाम है तथा पूर्व में वाराणसी, मथुरा, प्रयाग, हरिद्वार में जिला सूचना अधिकारी के पद पर जनपदों में तैनात है इसके अलावा उत्तर प्रदेश के सूचना निदेशालय, विधानसभा, विधान परिषद, न्याय विभाग तथा अन्य विभागों के भी सूचना अधिकारी रहे है। इनकी शिक्षा वाराणसी, प्रयाग, भोपाल आदि महत्वपूर्ण स्थानों पर हुई है इस लेख में लेखक के अपने विचार है इसको भारतीय संविधान 1950 में प्रदत्त अधिकारों के तहत लिखा गया है तथा तथ्यों की प्रमाणिकता धर्म शास्त्रों एवं प्रमाणिक अभिलेखों पर आधारित है कोई भी व्यक्ति उल्लेखित बिन्दुओं पर अयोध्या में या काशी में शास्त्रोक्त परम्परा के अनुसार संवाद कर सकता है। यह लेख भगवान शंकर, भगवान श्रीराम एवं गुरू हनुमान जी की कृपा से तथा ईश्वरीय आदेश से लिखा गया है और सबको प्रणाम, सबको नमन और अपने-अपने प्रचार संसाधन में उचित स्थान देने की कृपा करें, इनके द्वारा ‘अयोध्या धाम आरेछा धाम काशी धाम यथार्थ गाथा‘ नामक पुस्तक लिखा जा चुका है, जिसमें विशेष उल्लेख है।
श्री राम आश्रम/साधनाश्रम, कनक भवन रोड अयोध्या।
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